सर्दी का अहसास! भारत की बेहतरीन सर्दियों का मजा लें

Pallavi Siddhanta

Last updated: Jun 28, 2017

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एक ओर तकलीफदेह और पसीने वाली गर्मियां तो दूसरी ओर पहाड़ी फूल सरीखी खिली-खिली और चमकदार सर्दियां—अगर यह सुनने में अच्छा लगता है तो आपको जीवन में एक बार सर्दियों के इन 8 स्‍थानों का अनुभव अवश्य लेना चाहिए। सचमुच सर्दी पसंद करने वाले और सैर की चाहत रखने वाले लोगों को भारत की सर्दियां भरपूर सुकून देती हैं!

1. रूपकुंड कंकाल झील तक की पैदलयात्रा

Roopkund Skeleton Lake, places to visit in winter in india
Flickr Creative Commons/ Abhijeet Rane

फ़्लिकर क्रिएटिव कॉमन्स / अभिजीत राणे

अलौकिक अहसास देने वाली अनूठी सफ़ेद सर्दियों का आनंद लेने के बारे में आपका क्या ख्याल है? रूपकुंड विशालकाय हिमालय की बर्फीली पट्टी पर एक छोटी सी झील है जो एक विशाल बुग्याल (घास के मैदान) के मध्य में स्थित है। आसपास की दो चोटियां, त्रिशूल और नंदा गुंटी इस अनुभव को और भी रोमांचक बनाती हैं। रूपकुंड झील की प्रसिद्धि का कारण मनुष्य की खोपड़ियों के अवशेष हैं जो झील के किनारे पाए जाते हैं, जिससे सर्दियों की इस जन्नत को एक रहस्यमय आभा मिलती है। जब इन खोपड़ियों के मूल की बात आती है, इस मामले में शोधकर्ताओं की राय अलग-अलग है। एक ओर जहां कुछ शोधकर्ताओं का कहना है कि इन अवशेषों का संबंध ईरानी यात्रियों से है जो बर्फ में खो गए थे, तो कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि इनके DNA पदचिह्नों का संबंध महाराष्ट्र के चितपावन ब्राह्मणों से है। यह रहस्यमय अवशेष पूरे भारत के यात्रियों को इस चुनौतीपूर्ण पैदलमार्ग पर चलने के लिए रोमांचित करते हैं।

आवश्यक जानकारी: पैदल यात्रा शुरू करने से पहले पर्याप्त मात्रा में ऊनी कपड़े अवश्य पैक कर लें। सर्दियों से लड़ने के लिए कई कपड़े पहनें। हालांकि अपने पास हल्का सामान ही रखें क्योंकि पैदल रास्ते पर भारी-भरकम सामान लेकर चलना ठीक नहीं होता। आपको जिन अन्य चीजों की जरूरत होगी उनमें अच्छे बैक सपोर्ट वाले बैकपैक और पैदलयात्रा के लिए आरामदायक जूते शामिल हैं, जो आपके पैरों को जख्मी होने से बचाएंगे।

ऊंचाई: 5,029 मीटर (16,499 फीट)

दिनों की संख्या: 6-7 दिन, जो आपके फिटनेस लेवल पर निर्भर करता है।

आधार गांव: लोहाजंग

कैसे पहुंचें: लोहाजंग>दिदिना>अली बुग्याल>बेदिनी बुग्याल>भगवाभासा>रूपकुंड>पत्तर नौचानी>वान>लोहाजंग

2. भरतपुर पक्षी अभयारण्य में पक्षीविहार

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UNESCO की वर्ल्ड हेरिटेज साइट, केवलादेव घाना नेशनल पार्क (जिसे पहले भरतपुर पक्षी अभयारण्य के रूप में जाना जाता था) कई प्रजातियों के पक्षियों का ठिकाना है और सर्दियों के महीनों में यह कई प्रवासी पक्षियों की मेजबानी भी करता है। यहां की गर्म जलवायु की वजह से साइबेरियन क्रेन, प्रवासी वाटरफाउल जैसे पक्षियों की विदेशी प्रजातियां, विभिन्न प्रकार के बत्तख, हेरॉन और स्टॉर्क आदि अपेक्षाकृत अधिक ठंडे देशों से यहां प्रवास के लिए आते हैं।

कैसे पहुंचें: भरतपुर दिल्ली-आगरा राजमार्ग (यमुना एक्सप्रेसवे) पर स्थित है और दिल्ली से एक छोटी सी रेल यात्रा करके यहां पहुंचा जा सकता है।

खर्च:

प्रवेश शुल्क: भारतीय/विदेशी 50/400 रुपये

वीडियो कैमरा: 200 रुपये

गाइड शुल्क: 150 रुपये

किराया:

साइकिल/गियरयुक्त बाइक: 25/50 रुपये

दूरबीन: 100 रुपये

समय:

अप्रैल-सितंबर: सुबह 6.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक

अक्टूबर-मार्च:सुबह 6.30 बजे से शाम 5.00 बजे तक

3. खजुराहो नृत्य उत्सव का मज़ा लें

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Flickr Creative Commons/ André Mellagi

 

फ़्लिकर क्रिएटिव कॉमन्स / आंद्रे मेलागी

खजुराहो शहर की अपनी अलग पहचान है जिसका श्रेय इसके विस्तृत नक्काशीदार मंदिरों और प्रसिद्ध वार्षिक नृत्य उत्सव को जाता है। खजुराहो में एक सप्ताह तक चलने वाला एक उत्सव मनाया जाता है जिसमें खूबसूरत तरीके से सजाई गई रोशनी में डूबे मंदिरों की पृष्ठभूमि में भारत की विभिन्न पारंपरिक नृत्य शैलियों का भरपूर आनंद लिया जा सकता है। यहां लोकप्रिय कलाकारों द्वारा भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी, कथकली, ओडिशी और मणिपुरी जैसी उत्कृष्ट भारतीय नृत्य कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है और ये नृत्य प्रदर्शन दुनिया भर के पर्यटकों का ध्यान अपनी और खींचते हैं।

2017 के लिए तिथियां: 20–26 फरवरी, 2017

दिनों की संख्या: इस उत्सव का आनंद लेने के लिए 2-3 दिनों का समय निकालें, इन दिनों में खजुराहो के मध्ययुगीन शहर को जाने और शाम को नृत्य उत्सव का लुत्फ़ उठाएं।

​4. मेघालय में एशिया के सबसे स्वच्छ गांव, मावल्यान्नॉंग की सैर

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Flickr Creative Commons/ Ashwin Kumar

फ़्लिकर क्रिएटिव कॉमन्स / अश्विन कुमार

मावल्यान्नॉंग की छोटी-छोटी सड़कें देखने में ऐसी लगती हैं जैसे इन्हें किसी पेंटिंग से उतार लिया गया है! प्रत्येक झोंपड़ी के बाहर रद्दी और कचरा जमा करने के लिए बांस की टोकरियां रखी जाती हैं और स्थानीय समुदाय पारंपरिक जीवनशैली को प्रोत्साहित करता है। ग्रामीणों ने बांस का 85 मीटर लंबा एक टावर भी बनाया है जिसे स्काई व्यू कहा जाता है जहां से आप गांव के विहंगम दृश्यों को कैमरे पर उतार सकते हैं जबकि दूसरी तरफ बांग्लादेश का नज़ारा कर सकते हैं!

मावल्यान्नॉंग गांव शिलांग से लगभग 100 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां आपको कई छोटे और बड़े लिविंग रूट ब्रिज देखने को मिलेंगे जो स्थानीय लोगों द्वारा विशाल बरगद के पेड़ों की वायवीय जड़ों से बनाए गए हैं, साथ ही गांव के आसपास कल-कल करते सुंदर झरने आपका ध्यान बरबस ही अपनी ओर खींच लेंगे।

दिनों की संख्या: 1 दिन। अपनी छुट्टियों के लिए इसका चयन करते हुए शिलांग और चेरापूंजी को अपने कार्यक्रम में अवश्य शामिल करें!

​5. औली, उत्तराखंड में बर्फीले ढलान पर स्की का रोमांच

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Flickr Creative Commons/ Anuj Kumar Garg

 

फ़्लिकर क्रिएटिव कॉमन्स / अनुज कुमार गर्ग

हिमालय स्कीइंग के शौकीनों के लिए जन्नत हैं। कई अनुभवी स्की ऑपरेटरों का केंद्र, औली नौसिखियों और लंबी दूरी तक स्कीइंग करने के अनुभवी खिलाड़ियों के लिए एक शानदार जगह है। ढलान के मामले में गढ़वाल हिमालय की तुलना अक्सर आल्प्स की पहाड़ियों से की जाती है, साथ ही स्कीयर्स को मिलने वाली फिसलन उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन जाता है।

खर्च: लगभग 3500 प्रति व्यक्ति।

दिनों की संख्या: 2-3 दिन।

सर्वोत्तम समय: अगर आप स्कीइंग करना चाहते हैं तो औली आने का आदर्श समय जनवरी का महीना है।

6. रंग-बिरंगे पौष मेला के लिए शांति निकेतन चलें

Shantiniketan Poush Mela, places to visit in winter in india
Flickr Creative Commons/ Soumya P

फ्लिकर क्रिएटिव कॉमन्स / सौम्या पी

शांति निकेतन का पौष मेला टैगोर परिवार द्वारा शुरू की गई एक खास परंपरा है जिसे स्थानीय समुदाय ने आज भी जीवित रखा है, और अब दुनिया भर के लोग हजारों की संख्या में इसमें शामिल होते हैं। इस उत्सव में बंगाली पौष महीने में देबेन्द्रनाथ टैगोर और उनके परिवार द्वारा ब्राह्मो समाज की स्वीकृति का जश्न मनाया जाता है। विभिन्न प्रकार के फ़ूड स्टॉल, एक विशाल फेरी व्हील, मनोरंजक खेलों और स्थानीय संगीतकारों के प्रदर्शनों का लुत्फ़ उठाने के लिए यहां आना न भूलें। जनजातीय नृत्य और आतिशबाजी इस उत्सव में चार चांद लगाने का काम करती है और पौष मेला को पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना देती है!

तिथियां: 23–26 दिसंबर, 2016

 

7. हिमाचल प्रदेश के बीर-बिलिंग में पैराग्लाइडिंग का आनंद लें

Paragliding at Bir Billing, places to visit in winter in india
Flickr Creative Commons/ Fredi Bach

फ़्लिकर क्रिएटिव कॉमन्स / फ्रेडी बाक़

बीर और बिलिंग कांगड़ा क्षेत्र के दो छोटे-छोटे कस्बे हैं जो हिमालय की धौलाधार पर्वतश्रेणी के आमने-सामने स्थित हैं। सर्दियों के दौरान कांगड़ा घाटी का मौलिक सौंदर्य बीर-बिलिंग को पैराग्लाइडिंग के लिए उपयुक्त बनाता है। बीर-बिलिंग में पैराग्लाइडिंग का अनुभव विश्व के सबसे अच्छे विकल्पों में से एक है जिसकी वजह से पैराग्लाइडिंग विश्व कप 2015 का आयोजन यहां किया गया था। बिलिंग वह जगह है जहां तक आपको उड़ान भरने के लिए ड्राइव करना होता है और फिर बीर आपके उतरने की जगह है। बेहतरीन भोजन और मोनेस्टरी के बीच असली तिब्बती अहसास के लिए मैक्लोडगंज को अपनी यात्रा में अवश्य शामिल करें।

दिनों की संख्या: 1-2 दिन

बीर-बिलिंग में पैराग्लाइडिंग का खर्च: 2500 रुपये प्रति ट्रिप।

क्या अब सर्दियों के रोमांचक सफ़र पर निकलने के लिए आपके पैर फड़फड़ा रहे हैं? फौरन अपनी छुट्टियां बुक करें!