हिंदी में गुरु का अर्थ है शिक्षक और द्वारा का अर्थ है द्वार। अर्थात, गुरुद्वारा एक ऐसी जगह है, जहां से कोई खाली हाथ वापस नहीं आता। यह बात मेरी मां ने बताई, जब हम बंगला साहिब के रास्ते में थे और उनसे मैंने गुरुद्वारे का अर्थ पूछा। मेरे और मेरे परिवार के लिए धर्म और परंपराएं कोई बड़ी बात नहीं रहीं, न ही मैं गुरुद्वारे जाती हूं (जबकि मैं एक सिख हूं)। लेकिन गुरुद्वारे में कुछ तो बात है- शायद यहां का सकारात्मक वातावरण- जो मुझे हमेशा अपनी ओर खींचता है। पेश है भारत के पांच बड़े गुरुद्वारे, जहां हर किसी को जीवन में एक बार तो जरूर जाना चाहिए।
17वीं शताब्दी में यह गुरुद्वारा, यहां के शासक राजा जय सिंह का बंगला था। सिखों के आठवें गुरु हर किशन जी जब दिल्ली आए, तब यहां ठहरे थे। उस समय लोग चेचक और हैजा की महामारी से पीड़ित थे। गुरु हर किशन ने काफी लोगों की मदद की और उनकी जान बचाई लेकिन दुर्भाग्य से वह खुद इस बीमारी की चपेट में आ गए और उनका निधन हो गया। यह गुरुद्वारा उन्हीं के नाम पर बनाया गया है।
दिल्ली में होने पर आप यह भी देख सकते हैं: जब आप कनॉट प्लेस स्थित गुरुद्वारा बंगला साहिब आएं तो कई और जगह भी देख सकते हैं। यहां से इंडिया गेट 4 किलोमीटर, कुतुब मीनार 14.1 किलोमीटर, लोटस टेंपल 14.9 किलोमीटर और हुमायूं का मकबरा 7.8 किलोमीटर की दूरी पर है।
Gwalior Fort, Photo Credit: Nagarjun Kandukuru/flickr
ग्वालियर का गुरुद्वारा दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारा छठे सिख गुरु हरगोबिंद साहिब का स्मारक है, जिन्हें ग्वालियर फोर्ट में दो साल कैद में रखा गया था। उन्होंने तत्कालीन सम्राट जहांगीर द्वारा बंदी बनाए गए 52 सिख राजाओं की रिहाई कराई थी।
ग्वालियर में होने पर आप यह भी देख सकते हैं: ग्वालियर फोर्ट से जय विलास प्लेस 4.2 किलोमीटर, सिंधिया म्यूजियम 5 किलोमीटर, सास-बहू मंदिर 1.4 किलोमीटर और तिघरा डैम 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
Gurudwara Ganikaran, Photo Credit: balu/flickr
मणिकर्ण साहिब गुरुद्वारा, मनाली के बड़े टूरिस्ट आकर्षणों में से एक है। यह गुरुद्वारा पहले सिख गुरु, गुरु नानक देव की याद में बना है, जो अपने गुरु भाई मर्दान के साथ यहां आए थे।
जब भी आप मनाली के इस गुरुद्वारे में आएं तो कुछ और जगहों पर घूम सकते हैं। मणिकर्ण रोड से 13 किलोमीटर दूरी पर कसोल और पार्वती नदी जा सकते हैं।
Golden Temple, Photo Credit: Arian Zwegers/flickr
गुरुद्वारा हरमिंदर साहिब सोने की पतली चादरों से ढका है, इसलिए इसे स्वर्ण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इस गुरुद्वारे की आधारशिला सिखों के पांचवें गुरु, गुरु अर्जुन देव जी ने 1588 में रखी थी। वर्तमान में यह देश के प्रसिद्ध गुरुद्वारों में से एक है। इस गुरुद्वारे में चार दरवाजे हैं, जो इस बात का प्रतीक हैं कि सिखों की नजर में सभी लोग समान हैं।
अगर आप अमृतसर में हैं, तो स्वर्ण मंदिर से 31.1 किलोमीटर दूर वाघा बॉर्डर और 450 मीटर की दूरी पर स्थित जलियांवाला बाग भी जा सकते हैं।
गुरुद्वारा पत्थर साहिब, लेह-कारगिल रोड पर स्थित है, जो लेह के पहाड़ी क्षेत्र से 23 किलोमीटर की दूरी पर है। यह गुरुद्वारा सिखों के प्रथम गुरु और संस्थापक गुरु नानक देव की याद में बनाया गया है। कहा जाता है कि उन्होंने यहां के लोगों को दुष्ट राक्षस से बचाया था, जो लोगों को आतंकित करता था।
पत्थर साहिब गुरुद्वारे से 26 किलोमीटर दूर लेह पैलेस, दुनिया की सबसे ऊंची झील पांगोंग टों 159 किलोमीटर और स्पितुक गोम्पा 17.8 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
तो अब आपको पता चल गया, कहां जाना है? खुद के साथ कुछ वक्त बिताने और मन की शांति के लिए कब निकलना है जिसकी हम सबको तलाश है, जिसे हम स्वीकार भी करते हैं। तो किस बात का इंतजार ? अपना बैग पैक कीजिए और शांत, पवित्र और बेहतर छुट्टियों का आनंद लें।
Gurmeet Kaur Follow
Gurmeet is a media graduate who spent most of her school and college life anchoring and taking part in theater. She really enjoys writing blogs, documentaries, poetry and plays. She loves to travel and learn about different cultures and lifestyles and wishes to inspire others through her writing.
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